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Saturday, July 29, 2017

कविता : अर्पण

~डा. रमेश खनाल~

तुम्हारे पास रहने कि
मेरी चाहना
तुम्हारे चरणों के नीचे बैठने कि
मेरी तमन्ना 
तुम्हारे ही "माया मेट्रिक्स" के बदौलत
पता नहीं कब तक पुरी नही होगी
और मैं बिन पानी के मछली कि तरह