~मित्र पौडेल~
देखी देशेके हालत भैया
फाटै छै नाजूक दिलवा
कछ्छु बोलाई मे डर लागै छै
माटी देश के रुतवा
दिन दहाडे लाठी चमकै छै
भाला, फरसा छूरा
पूलिस प्रशासन टुकुर टुकुर ताकै छै नाचै डगर जम्हुरा
नेता आपनो रोटी सेकै छै
भांडमें जैते देश ।
तोंदू सेन्वा मोज करै छै
पढ्लो गेलाई बिदेश ।
के सच्चा छै, के छै झूठा
कुछ्छो समझमें न आवैं छै
देखी देशके हालत भैया
हमरो सर चकरावै छै ।
भुखलो, लोटै चुनमा मुनिया
गाली में दर दर भाट्कै
पैसा वाला मौज करै छै
गरीब डगरपर भटकै छै
देखी के देशके हालत मैमा
सांस गलामे अट्कै छै ।
बादलै नै नियत कभी, बदलै नै छै रंग
अंगिन चंदा साथ छै, असगर चंदन संग
एक उठैभौ अंगुरी कट्यौ पाँचो बार
गुण दोसो के आँकलन दूधारी तलावार
मेहदी पकिया रंग छै लागै अंग अंग
रंगलै एन्हो हाइथमें मित्र प्रितम संग
(जुलाई २९, २०१७ का दिन आबिष्कार-अप्सराको भारती निवासमा आयोजना भएको "१७ औं नेपाली कोठे साहित्य कार्यक्रम"मा वाचन गरिएको । )
No comments:
Post a Comment